चंडीगढ़ (भाषा)। पंजाब-हरियाणा में धान की आवक के बढ़ने के साथ दोनों ही राज्यों के किसानों की शिकायत है कि उन्हें अपनी फसल के लिए पूरा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है। उनका आरोप है कि इस ‘घोटाले' के लिए धान मिलें, खरीद एजेंसियों के अधिकारी और कुछ अन्य लोगों के बीच का गठजोड़ जिम्मेदार है।
पंजाब और हरियाणा में धान के खरीद का काम जारी है और किसानों का कहना है कि फसल में अधिक नमी की उपस्थिति के बहाने उन्हें अपनी फसल के लिए कम एमएसपी मिल रहा है तथा प्रदेश के अधिकारी फसल की आराम से खरीद की सभी व्यवस्था के दावे के बावजूद इस ‘घोटाले' पर ‘आंख मूंदे' हुए हैं।धान मिलों, खरीद एजेंसियों के अधिकारियों और कमीशन एजेंट के बीच है साठ-गांठ
हरियाणा के कई अनाज बाजारों में किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं दिया जा रहा है। धान मिलों, खरीद एजेंसियों के अधिकारियों और आढ़तियों (कमीशन एजेंट) के बीच साठ-गांठ है। ये लोग विभिन्न मंडियों में परिचालन करते हैं और फसल में अधिक नमी के बहाने किसानों को धान का पूरा एमएसपी नहीं दे रहे हैं।गुरनाम सिंह अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा)
उन्होंने दावा किया कि औसतन किसानों को एमएसपी में 100 रुपए प्रति क्विंटल कम भुगतान किए जा रहे हैं।
अधिक नमी बताकर करते हैं एमएसपी में मनमाने ढंग से कटौती
केंद्र सरकार ने धान के सामान्य किस्म के लिए एमएसपी 1,470 रुपए प्रति क्विंटल और ‘ए' ग्रेड किस्म का एमएसपी 1,510 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए हैं। उन्होंने कहा कि धान मिलों ने मंडियों में नमी की मात्रा को निर्धारित करने के लिए अपने आदमियों को तैनात कर रखा है और वे आमतौर पर 17 प्रतिशत से अधिक नमी बताकर एमएसपी में मनमाने ढंग से कटौती करते हैं। उन्होंने कहा, हमने हरियाणा की एक मंडी में पाया कि धान में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत होने के बावजूद कुछ किसानों को 1,300 रुपए क्विंटल का भाव दिया गया। उन्होंने कहा कि कुरक्षेत्र, करनाल, कैथल और यमुनानगर के मंडियों में स्थितियां ‘खराब' हैं।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने दी धान उत्पादकों को राहत
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा धान में 22 प्रतिशत तक नमी की स्थिति में सीमा से अधिक नमी के बराबर धान के वजन में कटौती करते हुए खरीद करने की बात कहते हुए धान उत्पादकों को राहत दी थी लेकिन इसके बावजूद यह लूट मची हुई है।
चुनाव का सामना करने जा रहे राज्य पंजाब में भी स्थितियां समान ही हैं जहां भी चालू खरीद सत्र में किसानों को धान के लिए कम एमएसपी दिया जा रहा है और वहां तो प्रदेश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। पंजाब और हरियाणा चालू सत्र में क्रमश: 130 लाख टन और 65 लाख टन धान खरीद होने की उम्मीद कर रहे हैं।
पंजाब में कम दाम पर धान बेचने को मजबूर किसान : अमरिंदर
डेरा बाबा नानक (पंजाब)। कांग्र्रेस के पंजाब प्रमुख अमरिंदर सिंह ने प्रकाश सिंह बादल सरकार के लिए ‘तलाश' को नोटिस जारी करते हुए कहा कि ‘राज्य की मंडियों से सरकार पूरी तरह से गायब है। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित इस क्षेत्र में अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान किसानों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘सरकार बिलकुल गायब हो चुकी है। किसानों को मजबूरी में अपना धान न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बेचना पड़ रहा है।''
उन्होंने फतेहगढ चूडिंयां, कालानौर, घनियाए के बेट और बटाला की मंडियों में किसानों से बातचीत की। किसानों ने उनसे कहा कि सरकार ने ‘आभासी' तौर पर धान की खरीद बंद कर दी है और उनमें से कई लोग हफ्तेभर से मंडियों में इंतजार कर रहे हैं।